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‘भाई है या पिता या कोई दोस्त है’

चुप्पी तोड़
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कुrakhiछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिनकी अहमियत को महसूस कराने के लिए शब्दों का सहारा नहीं लिया जा सकता है क्योंकि वो इतने खास होते हैं कि उन रिश्तों के प्यार को सिर्फ महसूस किया जा सकता है. बचपन में उसका छेड़ना, चोटी को खींचना, हमेशा उसका यह कहना कि ‘अरे तुझे तो अपने घर जाना है पता नहीं कब जाएगी’ और बहन का कहना कि ‘मैं कहीं नहीं जाने वाली हूं’….आज बड़े होने के बाद भाई-बहन के रिश्ते की गहराई समझ में आती है कि कितना अजीब है यह रिश्ता जब बहन उम्र में भाई से बड़ी होती है तो अपने छोटे भाई को मां बन के प्यार करने लगती है और अपने छोटे भाई का ध्यान ऐसे रखती है जैसे वो उसका छोटा सा गुड्डा हो. भाई भी प्यार करने के मामले में बहन से पीछे नहीं होते हैं.  जब बहन भाई से उम्र में छोटी होती है तो भाई उसे ऐसे प्यार करता है जैसे भाई नहीं पिता हो. सच में बड़ा अजीब है ‘भाई-बहन का रिश्ता’.


‘मां ने बड़े प्यार और दुलार से एक कहानी सुनाई,

आज भी वो कहानी याद है मुझे और मेरे भाई को,

याद रहेगी जिन्दगी भर,

वो कहानी नहीं मेरे भाई और मेरे जीवन की सच्चाई है,

और जीवन की सच्चाई हमेशा जिन्दगी के साथ चलती है.


याद है मुझे आज भी वो दिन जब मेरे भाई और मेरी लड़ाई हुई थी पर वो दिन इसलिए याद नहीं कि मेरे भाई और मेरी लड़ाई हुई बल्कि वो दिन इसलिए याद है क्योंकि उस दिन मां ने बड़ी प्यारी और समझदारी वाली कहानी सुनाई थी. मां ने कहा कि एक छोटी सी उम्र का एक लड़का था. लगभग उसकी उम्र ग्यारह साल की रही होगी. वो रोज स्कूल जाता था एक दिन उसे रास्ते में एक कार नजर आई. बड़े प्यार भरी नजरों से वह उस कार को देखने लगा. अचानक कार के पास एक लड़की आई और बोली कि क्या हुआ बच्चे इस कार को लेना है क्या ? फिर क्या था मेरी मां ने मुझसे और मेरे भाई से पूछा कि बताओ क्या बोला होगा उस लड़के ने, पर मेरे और मेरे भाई के पास जवाब नहीं था.


मां ने बताया कि लड़के ने बड़े प्यार से पूछा कि यह आपकी कार है. लड़की ने कहा हां, यह मेरी कार है और मेरे भाई ने मुझे तोहफे में दी है. लड़की ने कहा कि क्या तुम यह सोच रहे हो कि तुम्हें भी कोई कार तोहफे में देता ? लड़के ने कहा कि नहीं मैं यह सोच रहा हूं कि मैं अपनी बहन को कब कार तोहफे में दूंगा.


मां ने कहा – देखा, हमेशा अपने आप से पहले अपनी बहन के बारे में सोचना क्योंकि बहन कभी नहीं भूलती कि उसका भाई उसे बहुत प्यार करता है. फिर क्या था मैंने मां से कहा कि ‘कोई बात नहीं अगर भाई भूल गया तो मैं उसे याद दिला दूंगी’.

doliमां ने हंसते हुए कहा कि ‘बस हमेशा इसी बात को याद रखना कि कभी भी रिश्ते में प्यार कम नहीं होता है पर जिन्दगी में बहुत से मोड़ आते हैं जब लगने लगता है कि शायद रिश्ते में प्यार नहीं रहा पर सच में प्यार कभी भी कम नहीं होता पर शायद महसूस होना कम हो जाता है. बचपन में मां की बोली बातों का तो मतलब समझ रही थी पर उन बातों की गहराई अब समझ में आई है. ‘‘आज मां की बातों की गहराई में जब जाती हूं तब मैं समझ पाती हूं कि जो बचपन में कहता था ‘तू कब अपने घर जाएगी’ आज वो मेरी विदाई के नाम से भी डरता है. बहाने बनाने लगता है कि फिर किसे मैं सताऊंगा और फिर किसे मैं मनाऊंगा.’’


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