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अब और बदलाव नहीं, खुद से हुई मैं पराई

चुप्पी तोड़
चुप्पी तोड़
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“ममी मैं अपने  बालों  की    चोटी खुद नहीं बनाऊंगी और फिर अपनी गुड़िया को भी तो नहलाना है” आपकी बेटी ने कभी ना कभी आपसे यह बात जरूर कही होगी. याद होगा आपको वो दिन जब वो आपकी नन्हीं परी आपकी ही ममी बन गई होगी और गर्म -गर्म तेल ले अपने नन्हें हाथों से आपके बालों की मसाज की होगी पर अचानक ही  वो आवाजें सुनाई नहीं देती हैं. आखिर कहां चली जाती हैं वो प्यारी सी आवाजें? अचानक सुनाई देती हैं वही आवाजें पर गुड़िया की चिंता में नहीं बल्कि पति और बच्चों की चिंता में कि मां, मुझे अपने घर जाना है, ‘बच्चे स्कूल से और वो ऑफिस से आ गए होंगे’. कहां से उसमें यह समझदारियां आ जाती हैं. किसी के पास शायद इस बात का जवाब नहीं है!!


ममताऔरप्यारसेरिश्तोंकोसाथलेकरचलनामहिलाएंजानतीहैंपरआजसवालयहनहींकिक्यावोसबसेपराईहैं बल्किसवालयहहैकिक्यावोखुदसेपराईहोरहीहैं?


बचपनकासिखायाजवानीतकयाद

कहते हैं की बचपन का सिखाया जवानी तक याद रहता है. जब बचपन में एक बात को बार-बार दोहराया जाए तो वो जिंदगी भर के लिए रट जाती है. हां, वो ही लड़कियों के साथ हुआ है. बचपन से कहा गया कि वो पराया धन होती हैं. जहां पली-बढ़ी होती हैं उसी घर को अपना नहीं कह सकती हैं, ऐसा क्यों? हैरानी तो तब होती है जब उसे बचपन में रीति-रिवाज सिखाए जाते हैं और फिर एक दिन उन्ही रीति-रिवाजों को भूलने के लिए कहा जाता है.


कैसे बार-बार करूं परिवर्तन

‘बार-बार मुझे बदलना है….कभी पिता की दहलीज पर, कभी पति की दहलीज पर’

बार बार मुझे बदलना होगा…शायद यही मुझे बचपन से सिखाया गया है कि सबकी जरूरतों को देखना और जरूरत पड़े तो स्वयं को बदल लेना पर स्वयं में  कहां तक बदलाव करूं इसकी सीमा किसी ने तय नहीं की क्योंकि यह हक भी शायद जमाने ने मुझे नहीं दिया.


पिता के घर से पति के घर का सफर तय करते-करते आज खुद ही से पराई पाती हूं. एक समय था जब सिर्फ मुझे घर की जिम्मेदारियां निभानी होती थीं पर आज मुझे घर के साथ-साथ ऑफिस तक की जिम्मेदारियां निभानी हैं किंतु शायद आज मेरे घर वालों ने मेरे ऑफिस जाने को शौक का नाम दे दिया. इस बार भी मुझे लोगों ने गलत ही समझा. फिर मेरी कहानी ‘उस पन्ने की तरह हो गई जिस पर हर कोई अपनी कलम से जो चाहे वो लिख सकता था’.


क्या आप भी खुद को उलझा हुआ महसूस करती हैं तो अपनी कहानी मुझे जरूर बताएं हो सकता है कि आपकी कहानी से हजारों महिलाओं को रास्ता मिले जो कहीं अपने आप को गुम कर चुकी हैं.


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